ज्योतिष विद्या कैसे सीखे।(how to learn astrology)

भारत जो कि अपनी संस्कृति के लिए देश-विदेश में जाना जाता है जहां तक्षशिला विक्रमशिला और जैसे गुरुकुल थी और बाहर से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने आते थे । इन गुरुकुलु में ज्योतिष शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी इन गुरुकुलो में कई विषयों के ऊपर शिक्षा दी जाती थी आज मैं आपको बताएंगे ज्योतिष शास्त्र के बारे में। क्योंकि इन विषयों के ऊपर इन गुरुकुलों में भी शिक्षा दी जाती थी।
Astrologer kya hai

ज्योतिष शास्त्र को समझने के लिए या अपनी कुंडली को पढ़ने के लिए आपको यह समझना पड़ेगा । की कुंडली में 12 भाव होते हैं 27 नक्षत्र होते हैं और 9 ग्रह होते हैं। और इन ग्रहों की कुछ डिग्रियां होती है और इन ग्रह के शत्रु ग्रह और मित्र ग्रह होते हैं।  उसी के हिसाब से यह ग्रह अपना फल देते हैं। इसलिए हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। यदि हमारे द्वारा बताई की जानकारी आप को समझ में आ जाएगी तो आप कुंडली देखना सीख जाएंगे।

कुंडली देखना कैसे सीखे

सबसे पहले आप ग्रह के बारे में जानकारी प्राप्त करे ।

सूर्य 

चंद्रमा 

बुध

गुरु

 मंगल 

शुक्र

 शनि

 राहु

 केतु

ग्रह के परिणाम क्या होते है ।

1: सूर्य 

सूर्य से व्यक्ति की ख्याति को देखते हैं

सूर्य से आपकी आत्मा देखते है 

सूर्य आपका तेज है। 

सूर्य आपके पिताजी को देखते हैं

सूर्य किसी चीज में आपकी पकड़ को  दिखता है

सूर्य के माध्यम से लीडरशिप को देखा जाता है

सूर्य सरकारी नौकरी सरकारी विभाग को दिखाता है

सूर्य यदि आपकी कुंडली में खराब है

आपकी मान सम्मान में कमी होती है

आपके पिताजी का स्वास्थ्य खराब होता है

और आपकी नेतृत्व क्षमता में कमी होती है

चंद्रमा

चंद्रमा से आपके मन को देखते हैं

यदि आप बार-बार अपना काम बदलते हैं और यदि आपका काम में मन नहीं लगता लगता है यह कमजोर चंद्रमा की निशानी होता है

जिस प्रकार सूर्य देव आत्मा के कारक होते हैं वैसे ही चंद्रमा आपके मन के कारक होते हैं चंद्रमा से आप माता को देखते हैं

चंद्रमा से आपकी माता का स्वास्थ्य , माता से संबंध इन सभी चीजों पर चंद्रमा के द्वारा देखा जाता है

चंद्रमा से सुख और मानसिक सतुष्टि को देखा जाता है

गाड़ी , पैसा  , प्रॉपर्टी आपको अमीर बनाती है जिसे हम शुक्र से देखते हैं लेकिन आप इन चीजों को संतुष्ट हैं या नहीं इसे हम चंद्रमा से देखते हैं।

चंद्रमा से आपकी चिंता ,डिप्रेशन इसे भी देखा जाता है ।

चंद्रमा से पानी से संबंधित है यानी दूध इनका बिजनेस भी देखा जाता है

और यदि आपका चंद्रमा खराब है तो आपको ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए इसे सबसे अच्छा  माना जाता है

मंगल

मंगल बहुत पावरफुल ग्रह है

और इससे आपकी शक्ति को देखा जाता है

यह आपके अंदर ,शौर्य उमंग ,साहस को देखा जाता है इसी ग्रह से ।

और जब आपका मंगल कमजोर होता है या किसी गलत स्थान पर बैठा होता है तो यह आपके अंदर चिड़चिड़ापन ज्यादा ही आपको गुस्सेदार और धैर्य में कमी दिखता है

मंगल से रिश्तों में तनाव को देखते हैं 

यदि आपका मंगल अच्छा है तो आप सेना , पुलिस में भी जा सकते है। और आपके पास कितनी जमीन होगी यह सब मंगल से ही देखा जाता है

और यदि आपका मंगल कमजोर है तो आपको हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए

बुध 

बुध से आपकी बुद्धि को देखा जाता है जिसका बुद्ध बहुत ही अच्छा है वह बुद्धिमान होगा।

बुध से बोलने की कला को भी देखा जाता है बुध से आपके व्यवसाय, को भी देखा जाता है

बुध चंचलता को दर्शाता है और नपुंसकता को भी दिखता है

जिसका बुध बहुत ही अच्छा होता है वह लोगों को अपनी बातों के लिए मना लेता है।

गुरु

नवग्रह में सबसे शुभ ग्रह और सौम्य ग्रह गुरु होता है

गुरु से हम ज्ञान को देखते हैं गुरु से धन को भी देखा जाता है गुरु से उच्च शिक्षा को भी देखा जाता है

आपकी विवाह से संबंधित लगभग सभी चीजों को गुरु से ही देखा जाता है । उदाहरण के लिए

गुरु से आपकी संतान को देखा जाता है

गुरु से आपके पति को देखते हैं

शनी  को पुत्री देखा जाता है और पुत्र को गुरु से देखा जाता है

यदि आपकी कुंडली में गुरु अच्छी जगह में बैठा है अच्छे भाव में बैठा है तो एक यही ग्रह है जो आपकी सारी समस्याओं को दूर कर सकता है।

और यदि यह कमजोर होता है तो ऊपर जो आपको फल बताए हैं वह सब के परिणाम आपको खराब मिलते हैं।

शुक्र 

शुक ग्रह दानव ग्रह होते हुए भी , बहुत ही  सौम्य ग्रह है

इससे आपकी सुंदरता को देखा जाता है

यदि यह ग्रह लग्न में बैठा हो तो व्यक्ति बहुत ही सुंदर होता है। 

शुक्र से घर, गाड़ी देखते हैं शुक्र से ऐसो आराम को भी देखा जाता है

पति-पत्नी के बीच की प्रेम को भी देखा जाता है

अवैध संबंध की किसी से देखा जाता है

और यदि शुक्र आपकी कुंडली में अच्छा है कि आपके पास पैसे, घर, प्यार कोई कमी नहीं होती है

शनि

ग्रहों की गति सबसे कम होती है एक राशि में ढाई वर्ष रहते है जिसे शनि की ढैया कहते हैं

यह जिस भी घर में बैठता है उसे घर से आपको बहुत देर में परिणाम मिलते है ।

शनि विलंब करता है जिस भी घर को यह देखते हैं उस घर से आपको बहुत ही देर में परिणाम मिलते है।।

शनि ग्रह आपने ही  परिणाम को विलंब नहीं कराते । बल्कि जिस भी ग्रह कोई देखे हैं उसके परिणाम  भी देर से मिलते हैं।

राहु

राहु ग्रह सबसे पापी ग्रह और क्रूर ग्रह है

राहु गलतफहमी है यह जिस भी घर में बैठता है उसे घर से संबंधित आगे गलतफहमी को उत्पन्न कर देता है आपके दिमाग में गलतफहमी उत्पन्न कर देता है

उदाहरण के लिए अगर राहु बुध के साथ बैठेगा तो आपको लगेगा कि आप बहुत होशियार है आप लेकिन ऐसा होता नहीं है ।

और अगर गुरु के साथ बचेगा आप सोचते हैं कि आप सब जानते हैं लेकिन असलियत में आप कुछ नहीं जानते ।

केतु 

केतु मोक्ष दिलाता है

यह आपको बहुत चीजों से दूर करता है

यह आपको सन्यासी बनने का काम करता है

राहु और केतु दोनों में तोड़ने के लिए काम करते है एक भ्रम पैदा करता है और एक आपको उससे दूर करता है।

ग्रहों की मित्रता


देव ग्रह 

सूर्य 

चंद्रमा

 मंगल

गुरु

ये आपस में मित्र होते हैं

दानव ग्रह 


शुक्र 

शनि 

राहु 

केतु

दानव ग्रह आपस में मित्र होते हैं  देव ग्रह  और दानव ग्रह की आपस में कभी नहीं बनती है।

मात्र एक ग्रह ऐसा बुध है जिसके चंद्रमा और मंगल से दुश्मनी होती है बाकी सभी के साथ मित्रता होती है

डिग्री


1: अगर आपका ग्रह 0- 6 c कहां है तो आपको 25% परिणाम मिलते हैं यानी आपका ग्रह बचपन की अवस्था में है

2: यदि आपका ग्रह 6 -12 c का है तो इसे बाल अवस्था कहते हैं यहां आपको 50% परिणाम देखने को मिलते हैं

3: यदि आपका ग्रह युवावस्था में है यानी 12 -18 c कहे तो आपको 100% परिणाम देखने को मिलते हैं

4 : यदि आपका ग्रह बुढ़ापे में जा रहा है यानी 18 से 24 c है तो आपको 25 % परिणाम देखने को मिलते हैं

5: यदि आपका ग्रह 24 -30 डिग्री का है 25 % परिणाम देखने को मिलती है।

6: यदि आपका ग्रह शून्य डिग्री का है तो आपको 0 परिणाम देखने को मिलते हैं

ग्रहों की स्थिति


सूर्य = अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

मंगल=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और चौथा स्थान और आठवां स्थान में भी अपनी दृष्टि रखते हैं

केतु=अपने स्थान में और अपने स्थान से 7,5,9  में दृष्टि रखता है

शुक्र=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

शनि=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान और तीन और दसवीं स्थान में भी दृष्टि रखते हैं

बुध=अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

 बृहस्पति= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान पंचम तथा नवम स्थान को भी देखते हैं 

चंद्रमा= अपने स्थान में और अपने स्थान से सातवें स्थान में दृष्टि रखता है

 राहु=अपने स्थान में और अपने स्थान से 7 ,5, 9 में दृष्टि रखता है

अपनी राशि कैसे जाने

आपकी कुंडली में जहां पर चंद्रमा बैठा होगा वहां पर जो अंक लिखा होगा मान लीजिए आपकी कुंडली 4 अंक में चंद्रमा बैठा है तो आपकी कर्क राशि होगी । रशिया क्रम  के अनुसार चलती है नीचे हमने क्रम के अनुसार राशियां आपको बता रखी है आप सिर्फ यह देखिए कि आपका चंद्रमा कौन से नंबर पर बैठा है उस नंबर से कौन सी राशि दर्शयी जाती है नीचे यह हमने बता रखा है

1: मेष                    मंगल

2: वृषभ                   शुक्र 

3: मिथुन                 बुध

4: कर्क                   चंद्रमा

5: सिंह                     सूर्य 

6: कन्या                  बुध

7: तुला                    शुक्र

8: वृश्चिक                मंगल

9: धनु                     गुरू

10: मकर                  शनि

11:  कुंभ                 शनि

 12 :मीन                   गुरू

कौन सा घर किस चीज को दर्शाता है

प्रथम भाव (लग्न) = शरीर

दूसरा भाव   =      धन को

 तीसरा भाव   =     भाई बहन को

चतुर्थ भाव    = घर

पंचम भाव =  बुद्धि को

छठा भाव =    संघर्ष को

 सातवां भाव=  शादी को

 आठवां भाव अचानक लाभ

 नव भाव  =   भाग्य को पिता को

दसवां भाव =   कर्म को

11 भाव  = धन को

12 भाव  =   खर्च को

कैसे पता करें ग्रह उच्च के हैं या नीचे केउच्च स्थान के ग्रह

सूर्य= पहले स्थान में उच्च का माना जाता है

मंगल = दसवे स्थान में उच्च का माना जाता है

 शुक्र = 12 वे  स्थान में उच्च का माना जाता है

शनि= सातवें नंबर में शनि उच्च का माना जाता है

बुध= छठे स्थान में उच्च के माने जाते हैं

चंद्रमा = दूसरे स्थान में उच्च के माने जाते हैं

नीच स्थान के ग्रह 

सूर्य= सातवें स्थान में नीच के माने जाते हैं

मंगल = दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं

 शुक्र =  छठे  स्थान में नीच के माने जाते हैं

शनि= प्रथम स्थान में नीचे के माने जाते है

 बृहस्पति= दशम स्थान में नीच के माने जाते हैं

बुध= 12वे स्थान में नीचे के माने जाते हैं

चंद्रमा = आठवे स्थान में नीचे के माने जाते हैं

इस बात का आपको ध्यान रहे

कि अगर ग्रह अपनी मित्र राशि या स्वयं की राशि तो बहुत अच्छा परिणाम देंगे

लेकिन अगर शत्रु राशि में बैठे हैं तो फल अच्छे नहीं होंगे

कौन सा ग्रह कितनी डिग्री का है यह भी मायने रखता है उसी हिसाब से आपको परिणाम देखने को मिलते है

किसी एक ग्रह के कारण आप पूरी कुंडली का परिणाम नहीं  सकते है उसके लिए आपको समस्त ग्रहण के बारे में जानकारी होनी चाहिए कौन कितनी डिग्री का है शत्रु राशि में तो नहीं बैठा है। 

जब आप अपनी कुंडली बना रहे हो तो आपको अपनी जन्मतिथि और समय और स्थान का पता होना चाहिए और जन्म स्थान का भी आपको पता होना चाहिए

निष्कर्ष 

उम्मीद है हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आ गई होगी यदि आपके पास कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैंक्या आपको अपनी कुंडली से संबंधित किसी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप नीचे हमें ईमेल करें।

Mysmarttips.in@gmail.com



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